भूख का दर्द कहाँ समझती है ये दुनिया,
रोटी के चोर को बस चोर समझती है ये दुनिया |
जब रहा नहीं गया तो मैंने भी ठान लिया,
खुद खाना बचा के लोगों को खाना दिया |
सिखी मैंने खाने की एहमियत, जब बच्चे को कचरे में खाना ढूँढते देखा,
फिर लोगों की मदद से ज़रूरतमंदों की भूख मिटाने का ख़्वाब देखा |
क्योंकि खाली हे उनका पेट और हसती हे ये दुनिया |
पर अब नहीं रूकना,
क्यूँकि भूख को हे मिटाना |
अब दिल भी हे मेरा मुसकराता,
जब ज़रूरतमंद बच्चा पेट भर खाना है खाता |
– Yashika Chandnani