दिल चाहता है यह ीं रुक जाऊ, बाक दजींिग यह दबताऊीं ….
टेडी मेडी जंगल के ककसी मोड़ पर रुक कर, दोनों हाथो को फै ला कर, आँखे अपनी बंद कर, लम्बी सांस लेकर,
वो गुण गुणाती नकदया, वो चिड़चिड़ाती किकड़या,
वो गीली चिट्टी की खुशबू,
वो आसमान से चिरती बफफ का जादू ,
वो छोटे छोटे सुन्दर िाँवो,
हर ककसी का मन करे यहााँ पे आकर बस जाओ,
वो वाचियोों से ढँ के सुन्दर बचिया,
कजसमे बच्चे करे िैया िैया,
वो पहाड़ो की यह खूबसूरती जी हैं मैंने,
यहा आकर चिन्दिी का एक हूसूल चसखाया लोिो ने, नेिर हो या कल्िर इनका साथ कभी छोड़ो ित,
पहाड़ का हर कोना इस तरहा िेरे कदल मै आके बैठा है,
कहमािल की यादों को मैंने कु छ ऐसे समेटा हैं,
दिल चाहता है यह रुक जाऊ बाक दजन्दग यह दबताऊीं ….
-Lubhani Gangwal